हिंदू धर्म में विवाहको सोलह संस्कारों में से एक संस्कार माना गया है।पाणिग्रहण संस्कार को सामान्य रूप से हिंदूविवाह के नाम से जाना जाता है। हिंदूविवाहमें पति और पत्नी के बीच जन्म-जन्मांतरों का सम्बंध होता है जिसे कि किसी भी परिस्थिति में नहीं तोड़ा जा सकता। हिंदूविवाहमें वर और वधु अग्नि के सात फेरे ले कर पवित्र बंधन में बंध जाते हैं।हिंदू मान्यताओं के अनुसार मानव जीवन को चार आश्रमों ब्रम्हचर्य , गृहस्थ, सन्यास तथा वानप्रस्थ आश्रम में विभक्त किया गया है और गृहस्थ आश्रम के लिये पाणिग्रहण संस्कार अर्थात्विवाह नितांत आवश्यक है। तो आईये देखते है हिन्दू विवाह के रीति रिवाज औरसम्पूर्णवैवाहिक रश्मो का हाई लाईट
'श्रीमद्भागवत पुराण' हिन्दू समाज का सर्वाधिक आदरणीय पुराण है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का प्रमुख ग्रन्थ है।यह पुराण हिन्दू समाज की धार्मिक, सामाजिक मर्यादाओं की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता आ रहा हैं। 'श्रीमद्भागवत पुराण' श्रीकृष्ण चरित्र विस्तारपूर्वक है। दशम स्कंध में श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर अक्रूर जी के हस्तिनापुर जाने तक की कथा है। यह स्कंध पूरी तरह से श्रीकृष्ण लीला से भरपूर है। जरासंध से युद्ध, द्वारकापुरी का निर्माण, रुक्मिणी हरण, श्रीकृष्ण का गृहस्थ धर्म, शिशुपाल वध, श्रीकृष्ण का जन्म, कृष्ण की बाल लीलाएं, गोपालन, कंस वध, अक्रूर जी की हस्तिनापुर यात्रा, जरासंध से युद्ध, द्वारका पलायन, द्वारका नगरी का निर्माण, रुक्मिणी से विवाह, प्रद्युम्न का जन्म, शम्बासुर वध, स्यमंतक मणि की कथा, जांबवती और सत्यभामा से कृष्ण का विवाह, उषा-अनिरुद्ध का प्रेम प्रसंग, बाणासुर के साथ युद्ध तथा राजा नृग की कथा आदि के प्रसंग आते हैं। तो आइये आप भी आनन्द ले, खरगोन के सौमित्र नगर में आयोजित भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव (नंद उत्सव ) का .
विवाह मानव-समाज की अत्यंत महत्वपूर्ण प्रथा है। यह समाज का निर्माण करने वाली सबसे छोटी इकाई- परिवार-का मूल है। अनेकता में एकता को संजोये हुए भारत उस गुलदस्ते की तरह है जिसमें भिन्न-भिन्न रंगों के फूलों एवं पत्तियों को इस तरह रखा जाता है कि उनकी शोभा द्विगुणित हो जाती है। इसी तरह हमारे देश की सीमा के विभिन्न राज्यों एवं क्षेत्रों की अपनी अलग अलग भाषा एवं संस्कृति के साथ साथ नृत्यों की समृद्ध विरासत भी है तो आइये इस कड़ी में आप भी शानदार डांस बधाई हो बधाई
नवग्रह की नगरी खरगोन के अति प्राचीन नवग्रह मंदिर में मकर सक्रांति पर्व पर दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ पड़ी थी सूर्योदय के पूर्व से ही महिला पुरुष एवं बच्चे लाइन में खड़े होकर भगवान सूर्य देव के दर्शन लाभ ले रहे थे . यह नजारा मघ्य रात्रि तक जारी रहा . मंदिर के बाहर मकर सक्रांति पर्व पर दान पुण्य कथा का अनवरत कार्यक्रम चलता रहा . कई भक्त मंडलो ने अपने अपने स्टाल लगाकर प्रसादी का वितरण कर रहे थे .